शीत ऋतु के लिए बल-पुष्टिवर्धक प्रयोग
४ – ५ खजूर रात को पानी में भिगो दें १ चम्मच देशी गाय का मक्खन व १ इलायची का चूर्ण उनके साथ सुबह खाली पेट लें । यह प्रयोग शक्ति-स्फूर्तिप्रदायक, वीर्य व कांति वर्धक, कब्जनाशक तथा हृदय व मस्तिष्क के लिए बलप्रद है । साथ ही दिमागी ताकत व स्मरणशक्ति बनाये रखने हेतु भी बहुत उपयोगी है । दुबले-पतले बच्चे, युवक-युवतियाँ यह प्रयोग करें तो वे बलवान, बुद्धिमान व हृष्ट-पुष्ट बन सकते हैं.
ठंडी के दिनों में सुबह १-२ आँवले और १०-२० ग्राम काले तिल चबाकर सेवन करें । ऊपर से १ गिलास पानी पियें । तिल चबाकर १ गिलास पानी में १०-२० मि.ली. आँवला रस मिला के अवतार भी पी सकते हैं । इससे स्मरणशक्ति तेज होती है । यह प्रयोग पुष्टिकर, त्वचा के वर्ण को निखारनेवाला, आँखों की रोशनी बढ़ानेवाला तथा दाँतों, हड्डियों और बालों के लिए भी बहुत गुणकारी है ।
सर्दियों में सेहत का खजाना : राजमा
प्रोटीन्स व खनिजों से भरपूर राजमा स्वादिष्ट, अत्यंत बलकारक तथा पुष्टिदायी दलहन है । यह रुक्ष, वातकारक व पचने में भारी होता हैं । इस मे कैल्शियम, मैंगनीज, फोस्फोरस, लौह, कैरोटिन, थायमिन, राइबोफ्लाविन, नायसिन, विटामिन k, B, C आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं ।
राजमा खाने के इतने लाभ!
1. यह शरीर की रक्त-शर्करा को संतुलित बनाये रखता है अतः मधुमेह में लाभदायी है ।
2. यह चरबी को बढ़ने नहीं देता, इससे मोटापा में भी लाभदायी है ।
3. यह हड्डियों को मजबूत बनाता है ।
4. यह आँखों, बाल व मांसपेशियों के लिए हितकारी है ।
5. स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध की पौष्टिकता को बढ़ाता है ।
6. इसका सेवन करनेबाली गर्भवती महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी नही होती, जिससे गर्भस्थ शिशु का विकाश ठीक से होता है ।
7. यह कोलेस्ट्रॉल व उच्च रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद करता है ।
सावधानीया..
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- राजमा अधिक मात्रा से सेवन करने से गैस, पेटदर्द, कब्ज, उल्टी तथा मांसपेशियों से सम्बंधित समस्याएँ हो सकती हैं ।
- यह पचने में भारी होता है अतः इसका सेवन लगातार न करें । इसे सुबह के भोजन में खायें, रात के भोजन में नहीं खायें ।
- जिनकी जठराग्नि मंद है वे लोग तथा किसी भी विमारी में विशेषतः जोड़ों के दर्द तथा वातरक्त व्याधि में एवं वर्षा ऋतु में इसका सेवन न करें ।